
हलाल प्रमाण पत्र।
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हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर अरबों की कमाई हो रही है। अकेले भारत में लगभग 400 एफएमसीजी कंपनियों ने हलाल सर्टिफिकेट लिया है। लगभग 3200 उत्पादों का यह सर्टिफिकेशन हुआ है। यह सर्टिफिकेट लेने की कतार में यूपी सहित देशभर के फाइव स्टार होटलों से लेकर रेस्टोरेंट तक शामिल हैं।
विमानन सेवाओं, स्विगी-जोमैटो और फूड चेन इसके बिना काम नहीं करती हैं। यूपी में हलाल सर्टिफिकेट लेने वाले होटलों व रेस्तरां की संख्या लगभग 1,400 है। यहां हलाल सर्टिफाइड उत्पादों का बाजार 30 हजार करोड़ रुपये का है। ऐसे में इससे कहीं अधिक कमाई का लालच कंपनियों को है। इसके प्रभाव का असर ऐसे समझा जा सकता है कि वर्ष 2020 में योग गुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि को भी हलाल सर्टिफिकेट लेना पड़ा था।
दरअसल आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन के तहत आने वाले 57 देशों में उत्पाद बेचने के लिए यह सर्टिफिकेट जरूरी है। आचार्य बालकृष्ण को सफाई देनी पड़ी थी कि आयुर्वेदिक दवाओं के लिए हलाल सर्टिफिकेट लिया है, जिनकी अरब देशों में काफी मांग है।
हलाल सर्टिफिकेट के एवज में कंपनियों को बड़ी रकम का भुगतान करना पड़ता है। पहली बार की फीस 26 हजार से 60 हजार रुपये तक है। प्रत्येक उत्पाद के लिए 1,500 रुपये तक अलग से देने पड़ते हैं। सालाना नवीनीकरण फीस 40 हजार रुपये तक है। इसके अलावा कन्साइनमेंट सर्टिफिकेशन व ऑडिट फीस अलग से है। इसमें जीएसटी अलग से शामिल है। यानी एक कंपनी को एक बार में लगभग दो लाख रुपये देने पड़ते हैं। इसके बाद सालाना नवीनीकरण अलग से है।